| चल!.. आज नव्या वाटेने जाऊ, |
| जिथे असतील कळ्या ही उत्सूक, |
| गंध सांडून फूलण्यासाठी. |
| काट्यांचं ही दु:खं विसरून, |
| तुझ्या माझ्यासाठी. |
| अंगावर ऊठवाया पावलांची नक्षी, |
| अतूर असतील वाटा, |
| अन उर फोडून नाचत असतील, |
| ओढ लागलेल्या पाणलाटा. |
| खाली वाकलं असेल आभाळ, |
| जिथे रंग निळा घेऊन, |
| फक्त तुझ्या माझ्यासाठी. |
| तेथेच घडूदे आज एकदा |
| या हृदयाच्या गाठीभेटी. |
| ओसाड असलं रान तरी, |
| जे देईल अंतराची हाक |
| अनवाणीच जाऊ तिथे, |
| पावलावरती पाऊल टाक. |
| गुंतवून घेऊ पायात, |
| आडव्या तिडव्या वाटा, |
| रुतला जरी काटा, |
| वहिवाटेला देऊ फाटा. |
| मिसळून जाऊ एकमेकात, |
| स्वच्छ उन्हाच्या मृगजळात. |
| सावल्या ठेवू कोरून, |
| भिरभीरणार्या डोळ्यात. |
| आभाळाचा संधीप्रकाश |
| असेल जिथे गोठलेला. |
| गाणे गात जगत असेल, |
| अश्वथ ही पिळवटलेला. |
| चल.. जाऊ आज तिथे, |
| जिथे येईल मेघ उतरून, |
| गंध घेऊन सौख्याचा. |
| अन दु:खाचे ही गीत होऊन, |
| गाव लागेल आनंदाचा. |
Friday, September 14, 2012
अज्ञाताच्या वाटेवर...........!
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कविता
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