| ओंठांत गंजल्या माझ्या |
| मी मंत्र बांधले होते. |
| दोघात नदीच्या काठी |
| आधी कोण बोलले होते? |
| ते गीत सांज उन्हांचे |
| या देहात मुरले होते. |
| दोघांच्या अबोलपणी ते |
| सांग कुणी गायले होते? |
| पाण्यात उतरता शेजा |
| मी स्वप्न सांधले होते. |
| सोडून हात तू जाता, |
| का परतून पाहीले होते? |
| तू चंद्र व्हावेस माझा म्हणूनी, |
| मी सुर्य लोटले होते. |
| ’वेड्या!’ गौर केतकी माझे, |
| मी हात पोळले होते. |
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