| अता वाकून ये आभाळा |
| जराशी होईन मी निळा |
| पहातोय वाट तुझी मी |
| बनुनी अहिल्येची शीळा |
| झुंजताना मी तनकटाशी |
| इथे मोडला रे विळा |
| गेली सारी सुकून राने |
| भरु दे चांदण्याने मळा |
| गेला संपून हा प्रवास |
| आता उघडावे दार तिळा. |
| हुदयाच्या ही कैक कळा |
| तुला सांगेन मी आभाळा |
| पाहू तरी तुझ्यात आता |
| खरा आहे किती जिव्हाळा |
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